Priyanka Verma

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लेखनी प्रतियोगिता - खामोशी


खामोशी


खुद से प्यार करने लगे जबसे
खामोशी अच्छी लगने लगी है....

शब्दों के शोर से हुए परेशान,
तबसे ये बेहतर लगने लगी है..

बोलकर भी जब कोई समझ ना पाया
अहसास मन के,
तबसे खामोशी भली लगने लगी है..

अब सब शांत सा हो गया है..
वो उथल पुथल अब खत्म हो गई,
संभाल कर खुद को,
खामोशी अब ज्यादा अच्छी लगने लगी है।।

प्रियंका वर्मा
24/5/22

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11 Comments

Shnaya

28-May-2022 01:07 PM

बेहतरीन

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Priyanka Verma

25-May-2022 08:27 PM

🙏😊💐 thank you so much, all of you

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Shrishti pandey

25-May-2022 01:08 PM

Nice

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